लोगों की राय

भाषा एवं साहित्य >> नामवर के नोट्स

नामवर के नोट्स

नामवर सिंह

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 12503
आईएसबीएन :9788126726844

Like this Hindi book 0

आज के विमर्शवादी दौर में नामवर जी के कक्षा-व्याख्यान शास्त्र-निर्माण की भारतीय परम्परा के चिह्न की तरह हैं। भारतीय आचार्यों के प्रति उनका अनाक्रान्त भाव विस्मित करता है। वे स्वाभाविक रूप से उन स्थानों को बताते हैं जहाँ काव्यशास्त्र की परम्परा में उलट-फेर हुआ है। दूसरे जहाँ बचकर निकलते हैं, नामवर जी वहीं रुकते हैं। पश्चिम में इंडोलॉजी के प्रति आकर्षण रहा है। इसमें काव्यशास्त्र भी एक है। इस आकर्षण के वस्तुगत कारण कौन से हैं? विचार करने पर स्पष्ट होता है कि वहाँ काव्यशास्त्र सम्बन्धी कुछ प्रस्तावनाएँ, आनुषांगिक चर्चाएँ ही रही हैं।

भारतवर्ष में काव्यशास्त्र एक विधिवत शास्त्र रहा है। भारतीय काव्यशास्त्र शास्त्र-निर्माण की एकान्तिक साधना का फल नहीं है। संस्कृत काव्यशास्त्र पर विभिन्न अनुशासनों का प्रभाव और अपने को असाधारण सिद्ध करने की बेचैनी दोनों प्रत्यक्ष हैं।

- इसी पुस्तक से

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai